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ट्रंप का बड़ा यू-टर्न: अब कहा – “पुतिन-जेलेंस्की पहले आपस में बात करें!”

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ट्रंप का बड़ा यू-टर्न: अब कहा – “पुतिन-जेलेंस्की पहले आपस में बात करें!”

अमेरिकी चुनावों में धूम मचा रहे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। रूस-यूक्रेन जंग को लेकर उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है जिसने सबको चौंका दिया है। ट्रंप ने अपने पुराने रुख से पूरी तरह यू-टर्न लेते हुए कहा है कि युद्ध रोकने (सीजफायर) की बातचीत से पहले राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की को आमने-सामने बैठना चाहिए।

यह बयान उस आदमी का है जो अक्सर दावा करता था कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो यह जंग 24 घंटे में खत्म कर देते। तो अब इस नए बयान का मतलब क्या है? आइए समझते हैं।

क्या कहा ट्रंप ने exactly?

ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा, “मेरी धारणा यह है कि वे (पुतिन और जेलेंस्की) एक-दूसरे से बात करें… मैं नहीं चाहता कि मैं उनसे कहूं, ‘आप ऐसा करें, आप वैसा करें।’ मैं चाहता हूं कि वे खुद बातचीत करें और एक दूसरे को समझें।”

सीधे शब्दों में कहें तो ट्रंप अब यह कह रहे हैं कि शांति की प्रक्रिया सीधे दोनों देशों के नेताओं के बीच शुरू होनी चाहिए, बजाय इसके कि अमेरिका या कोई और बीच-बचाव करे।

क्या है मामले का पिछला इतिहास?

इससे पहले, ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया था कि वह अगर फिर से राष्ट्रपति बने तो यूक्रेन और रूस के बीच तुरंत एक सौदा करवाकर युद्ध को समाप्त कर देंगे। उन्होंने यहां तक कहा था कि वह पुतिन और जेलेंस्की को एक कमरे में बंद कर देंगे और तब तक नहीं खोलेंगे जब तक वे समझौता नहीं कर लेते।

लेकिन अब उनका यह नया रुख उन्हीं पुराने दावों से अलग नज़र आ रहा है।

विश्लेषक इस पर क्या कह रहे हैं?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह नया बयान उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

  1. तटस्थ छवि: शायद ट्रंप अमेरिकी मतदाताओं के सामने एक ऐसी छवि बनाना चाहते हैं जो यूक्रेन को लेकर बिना किसी ‘ओपन-चेक’ पॉलिसी के तटस्थ और व्यावहारिक नज़र आए।
  2. पुतिन के साथ रिश्ते: ट्रंप हमेशा से पुतिन के साथ अच्छे संबंधों के लिए जाने जाते रहे हैं। हो सकता है वह पुतिन पर दबाव न बनाकर एक नरम रुख अपना रहे हों।
  3. चुनावी रणनीति: अमेरika में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो यूक्रेन को लगातार भारी सैन्य सहायता देने के खिलाफ है। ट्रंप का यह बयान उन मतदाताओं को खुश करने का काम कर सकता है।

क्या है यूक्रेन की प्रतिक्रिया?

यूक्रेन लंबे समय से इस स्थिति पर कायम है कि वह किसी ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा जिसमें उसकी संप्रभुता (Sovereignty) को ठेस पहुंचे। यूक्रेन का मानना है कि रूस ने जो इलाके अवैध रूप से हड़पे हैं, उन्हें लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ऐसे में, बिना किसी मजबूत मध्यस्थ के पुतिन के साथ सीधी बातचीत यूक्रेन के लिए एक चुनौतीपूर्ण विकल्प हो सकता है।

निष्कर्ष: तो क्या होगा आगे?

ट्रंप का यह बयान निश्चित तौर पर एक बड़ा राजनीतिक मोड़ है। अगर नवंबर में ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए जाते हैं, तो अमेरिका की यूक्रेन नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अमेरिका का रुख यूक्रेन के लिए ‘बिना शर्त समर्थन’ से बदलकर ‘सीधी वार्ता पर जोर’ में तब्दील हो सकता है।

फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं और क्या वाकई पुतिन और जेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत की कोई संभावना बन पाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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